Sunday, August 5, 2018

बे-बस रहे यात्री, नहीं चली रोडवेज की 69 बसें

रोडवेज कर्मियों की प्रदेशव्यापी हड़ताल बुधवार को शुरू हुई। सैकड़ों मुसाफिर बस स्टैंड पर सुबह से इंतजार करते दिखे। एक दिन की ही हड़ताल से रोडवेज को जिले में 11 लाख रुपए का नुकसान हुआ। हड़ताल गुरुवार को भी चलेगी, साथ ही 13 सूत्री मांगे पूरी नहीं होने की स्थिति में अनिश्चितकाल के लिए जारी रहेगी। ऐसे में यात्रियों की समस्याएं बढ़ना लाजमी है। 

13 सूत्री मांगों को लेकर रोडवेज कर्मी बुधवार सुबह हड़ताल पर उतर गए। सुबह सभी डिपो पहुंचे जरूर, लेकिन बसों को खड़ा कर दिया। डूंगरपुर डिपो की ही बात करें तो दिनभर में 33 हजार किलोमीटर का सफर यहां की बसें करती है। इससे दिनभर में औसत 11 लाख रुपए की आमदनी होती है। सुबह सभी कर्मचारी रोडवेज बस स्टैंड पर आकर बैठ गए। दिनभर वहीं टिके रहे, लेकिन बसों का संचालन नहीं हो सका। 

इधर, कई मुसाफिर बस से सफर के लिए बस स्टैंड पहुंचे थे, लेकिन जब उन्हें पता चला कि हड़ताल है तो उनके लिए गंतव्य तक पहुंचने की समस्या खड़ी हो गई। इससे परेशान होकर वे एक से दूसरी जगह भटकते रहे। स्टैंड के बाहर खड़ी रहने वाली निजी बस और टैक्सी जीप में जगह तलाशते रहे। इनमें से कई को तो इलाज कराने के लिए अहमदाबाद आना था तो कुछ को इंटरव्यू के लिए उदयपुर। इधर, सुबह साढ़े सात बजे बाद निजी वाहन भी मिलना मुश्किल हो गए, ऐसे में दिक्कतें और बढ़ गई। माताएं बच्चों को लेकर यहां वहां भटक रही थी। हड़ताल में रोडवेजकर्मियों से जुड़े एटक, इंटक, सीटू, बीजेएमएम सहित कई कर्मचारी संगठन शामिल है। 

रोडवेज कर्मियों की प्रदेश व्यापी हड़ताल से एक दिन में 11 लाख रुपए का नुकसान डूंगरपुर। बस स्टैंड परिसर में बस शुरू होने के इंतजार में बैठे मुसाफिर। 

भास्कर संवाददाता |डूंगरपुर 

रोडवेज कर्मियों की प्रदेशव्यापी हड़ताल बुधवार को शुरू हुई। सैकड़ों मुसाफिर बस स्टैंड पर सुबह से इंतजार करते दिखे। एक दिन की ही हड़ताल से रोडवेज को जिले में 11 लाख रुपए का नुकसान हुआ। हड़ताल गुरुवार को भी चलेगी, साथ ही 13 सूत्री मांगे पूरी नहीं होने की स्थिति में अनिश्चितकाल के लिए जारी रहेगी। ऐसे में यात्रियों की समस्याएं बढ़ना लाजमी है। 

13 सूत्री मांगों को लेकर रोडवेज कर्मी बुधवार सुबह हड़ताल पर उतर गए। सुबह सभी डिपो पहुंचे जरूर, लेकिन बसों को खड़ा कर दिया। डूंगरपुर डिपो की ही बात करें तो दिनभर में 33 हजार किलोमीटर का सफर यहां की बसें करती है। इससे दिनभर में औसत 11 लाख रुपए की आमदनी होती है। सुबह सभी कर्मचारी रोडवेज बस स्टैंड पर आकर बैठ गए। दिनभर वहीं टिके रहे, लेकिन बसों का संचालन नहीं हो सका। 

इधर, कई मुसाफिर बस से सफर के लिए बस स्टैंड पहुंचे थे, लेकिन जब उन्हें पता चला कि हड़ताल है तो उनके लिए गंतव्य तक पहुंचने की समस्या खड़ी हो गई। इससे परेशान होकर वे एक से दूसरी जगह भटकते रहे। स्टैंड के बाहर खड़ी रहने वाली निजी बस और टैक्सी जीप में जगह तलाशते रहे। इनमें से कई को तो इलाज कराने के लिए अहमदाबाद आना था तो कुछ को इंटरव्यू के लिए उदयपुर। इधर, सुबह साढ़े सात बजे बाद निजी वाहन भी मिलना मुश्किल हो गए, ऐसे में दिक्कतें और बढ़ गई। माताएं बच्चों को लेकर यहां वहां भटक रही थी। हड़ताल में रोडवेजकर्मियों से जुड़े एटक, इंटक, सीटू, बीजेएमएम सहित कई कर्मचारी संगठन शामिल है। 

यात्रियों ने बताई समस्या 

 आसेला से उदयपुर जिले के खेरवाड़ा कस्बे में बीएड कॉलेज के लिए निकले अनिरुद्ध गर्ग जैसे तैसे गांव से जीपों में बैठकर डूंगरपुर बस स्टैंड पहुंचे। उन्होंने बताया कि बारिश भी तेज है और बड़ी मुश्किल से यहां तक आए है। अब रोडवेज बस नहीं मिल रही है और समय पर कॉलेज नहीं पहुंचने से अनुपस्थिति दर्ज हो जाएगी। 

 जोरावरपुरा से आई रमीला बामणिया ने बताया कि डूंगरपुर तक वे निजी बस में बैठकर आई है। आगे उदयपुर जाना है। जीएनएम में एडमिशन लेने के लिए वहां कॉलेज में बात हुई है, लेकिन बस ही नहीं मिल रही। निजी वाहनों के ठिकाने नहीं है, ऐसे में दिक्कत हो रही है। बाद में वे एक ऑटोरिक्शा के जरिए खेरवाड़ा के लिए रवाना हो गई, जहां से आगे पहुंचने की कोशिश करेगी। 

 रमणलाल सुथार ने बताया कि उन्हें आंखों की तकलीफ है और अहमदाबाद डॉक्टर को दिखाने का अपॉइंटमेंट था। पहुंचने का कोई जरिया नहीं है। ठीक से दिखाई नहीं देता है, इसलिए यहां तो बेटा बस स्टैंड तक छोड़ने आया था। अहमदाबाद में दामाद बस स्टैंड लेने आने वाले थे, वहां से वे ही डॉक्टर तक ले जाने वाले थे। अब बड़ी समस्या हो रही है। 

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