Friday, August 17, 2018

बिछड़ गया यार : कांपते हाथों से आडवाणी ने दी अटल को श्रद्धांजलि, लौटे तो कांपे कदम




65 सालों अटल-आडवाणी राजनीति में एक नाम बन गये थे.

खास बातें

अटल-आडवाणी भारतीय राजनीति का एक नाम
साथ मिलकर की थी बीजेपी की स्थापना
राजनीति में हिट जोड़ी थी दोनों की


नई दिल्ली: राजघाट के पीछे स्मृति वन का माहौल ही कुछ ऐसा था. भावनाओं का ज्वार उमड़ पड़ रहा था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सहित देश-विदेश नेताओं को ने अटल बिहारी वाजपेयीको श्रद्धांजलि दी. लेकिन उस समय भावनाओं का ज्वार सबकी आंखों में आ गया जब कांपती हांथों से लालकृष्ण आडवाणी ने उस शख्स को श्रद्धांजलि जिसके साथ उन्होंने जीवन के 65 सालों बिताये. जनसंघ से दोनों का सफर शुरू हुआ था उसके बाद दोनों ने मिलकर बीजेपी की स्थापना की. आज बीजेपी केंद्र सहित 20 राज्यों की सत्ता में है. 
           आडवाणी की श्रद्धांजलि के साथ ही एक राजनीति का एक पूरा युग सबकी आंखों में तैर गया. भावुक आडवाणी जैसे ही श्रद्धांजलि देकर पीछे मुड़ते हैं तो कुछ कदम चलते ही उनके पैर लड़खड़ा जाते हैं. उस समय ऐसा ललगता है कि मानो लालकृष्ण आडवाणी के कदमों को किसी ने रोक लिया है. लेकिन फिर वह धीरे-धीरे कदमों से आगे बढ़ते चले गये. उनके गदुख और दर्द को साफ देखा और समझा जा सकता था.
       अटल बिहारी वाजपेयी की मुलाकात लालकृष्ण आडवाणी से कैसे हुई यह कहानी भी बहुत रोचक है. अटल जी एक बार सहयोगी के तौर पर पंडित श्यामा प्रसाद मुखर्जी के साथ ट्रेन से मुंबई जा रहे थे. मुखर्जी कश्मीर के मुद्दे पर पूरे देश का दौरा कर रहे थे. लालकृष्ण आडवाणी कोटा में प्रचारक थे. उनको पता लगा कि उपाध्याय जी इस स्टेशन से गुजरने वाले हैं तो वह मिलने आ गये. वहीं पर मुखर्जी ने दोनों की मुलाकात करवाई थी.

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