Saturday, August 4, 2018

ब्रिटिश राज ने सरकारी नौकरियों को लुभावना बनाया


सवाल यह है कि सरकारी नौकरियां इतनी आकर्षक कैसे हो गयीं? लगभग 250 साल पहले जब विधिवत रूप से ब्रिटेन का शासन भारत पर शुरू हुआ, तब भी 27 प्रतिशत विश्व व्यापार पर भारत का नियंत्रण था. लेकिन ब्रिटिश शासन के शुरू होते ही भारतीय संसाधनों की लूट का नया अध्याय प्रारंभ हुआ, जिसकी विस्तार से व्याख्या दादाभाई नौरोजी ने अपनी चर्चित किताब ‘पोवर्टी एंड अन-ब्रिटिश रूल इन इंडिया’ में किया है.
नौरोजी ने 6 कारणों का जिक्र किया है जिनके चलते भारतीय सम्पदा को लूट कर ब्रिटेन ले जाया गया. इनमें एक कारण था कि व्यवस्था और नौकरशाही पर खर्च बहुत ज्यादा था. दरअसल, ब्रिटिश अधिकारियों के वेतन इतने ज्यादा थे, जिसकी कल्पना करना मुश्किल है.
1773 का रेग्युलेटिंग एक्ट भारत में संविधान-निमार्ण की दिशा में पहला कदम था. इसी अधिनियम के तहत बंगाल में सुप्रीम काउंसिल का गठन किया गया, जिसमें गवर्नर-जनरल और चार काउंसलर होते थे. उनके जो वेतन निश्चित किये गये वह अकल्पनीय है. गर्वनर-जनरल की तनख्वाह 25,000 पाउंड सालाना थी, जबकि काउंसिलर की 10,000 पाउंड सालाना. यह अनुमान लगाया जा सकता है कि 1773 में इस राशि की क्या कीमत रही होगी.

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